Saturday, 29 December 2012

भारत जाग उठा है |

सो गयी  है वो ,भारत  जाग उठा है ।
इंसाफ की लड़ाई में पूरा देश जुटा है ।

तुम्हारी लाठी की दर्द कम पड़ जाएगी ।
लाखो की संख्या में भीड़ उमड़ आएगी ।
रोक सको तो रोक लो इसे ,
जल्द ही यह आग शोले में बदल जाएगी ।

आँखे नम है ,दिल भर आई है ।
पूरे देश में मातम सी छाई है ।
हर माँ -बाप ,हर भाई के दिल में ,
एक अजीब सी डर समाई है ।

हैवानियत की सीमा पार हो चुकी  है ।
भारत माँ शरमसार हो चुकी है ।
लालत है अब चुप बैठे तो ,
उठो बहुत अंधकार हो चुकी है ।

सो गई  है वो ,भरत जाग उठा है ।
इंसाफ की लड़ाई में पूरा देश जुटा है ।


                                                                -ऋषभ प्रकाश 


3 comments:

  1. Aasha hai ki is jaagran ko upyukt mahatwa milega. Is aag mein agar humari sarkar keval apna haath senkti hain...toh isse lajjajanak kuch nhi hoga!

    ...and for this poem of yours,you did good!!

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  2. Really speaks for the hour. If we dont wake up now, the world would be lost in the darkness.
    Great start Rishabh! A truly heart rendering poem.
    Good luck with blogging :)

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