Saturday 8 February 2014

यार वो मेरा याद रहेगा ।

चार पहर जब था अँधेरा ,
क्या सूरज कैसा सवेरा।
छिप ना पाए आँसू खुद से।,
भीड़ में भी  था  अकेला।

क्या हुआ फिर समझ न पाया ,
मुझे मिली कोई ऐसी छाया।
कुछ पल को फिर लगा मुझे यू ,
बरस गई हो उनकी माया।

हसना सीख गया था मै अब,
गम को भूल रहा  था मै अब।
जीवन  काया  पलट रही थी,
यादे भुला  रहा था मै सब।

यार वो मेरा याद रहेगा ,
हर दम मेरे साथ रहेगा।
फिर से ज़िन्दा किया है जिसने ,
उम्र भर एहसान रहेगा।
               
               -ऋषभ प्रकाश