सो गयी है वो ,भारत जाग उठा है ।
इंसाफ की लड़ाई में पूरा देश जुटा है ।
तुम्हारी लाठी की दर्द कम पड़ जाएगी ।
लाखो की संख्या में भीड़ उमड़ आएगी ।
रोक सको तो रोक लो इसे ,
जल्द ही यह आग शोले में बदल जाएगी ।
आँखे नम है ,दिल भर आई है ।
पूरे देश में मातम सी छाई है ।
हर माँ -बाप ,हर भाई के दिल में ,
एक अजीब सी डर समाई है ।
हैवानियत की सीमा पार हो चुकी है ।
भारत माँ शरमसार हो चुकी है ।
लालत है अब चुप बैठे तो ,
सो गई है वो ,भरत जाग उठा है ।
इंसाफ की लड़ाई में पूरा देश जुटा है ।
-ऋषभ प्रकाश
इंसाफ की लड़ाई में पूरा देश जुटा है ।
तुम्हारी लाठी की दर्द कम पड़ जाएगी ।
लाखो की संख्या में भीड़ उमड़ आएगी ।
रोक सको तो रोक लो इसे ,
जल्द ही यह आग शोले में बदल जाएगी ।
आँखे नम है ,दिल भर आई है ।
पूरे देश में मातम सी छाई है ।
हर माँ -बाप ,हर भाई के दिल में ,
एक अजीब सी डर समाई है ।
हैवानियत की सीमा पार हो चुकी है ।
भारत माँ शरमसार हो चुकी है ।
लालत है अब चुप बैठे तो ,
उठो बहुत अंधकार हो चुकी है ।
सो गई है वो ,भरत जाग उठा है ।
इंसाफ की लड़ाई में पूरा देश जुटा है ।
-ऋषभ प्रकाश